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पटवारी भर्ती 2021 के महत्वपूर्ण GKImportant GK of Patwari Recruitment 2021

 “पटवारी भर्ती 2021 के महत्वपूर्ण GK” 1. राजस्थान के किस जिले को अन्न का कटोरा कहते हैं? (A)पाली (B)झालावाड (C)हनुमानगढ़ (D)श्रीगंगानगर उत्तर- श्रीगंगानगर 2. किस जिले में आकाल वुड फॉसिल पार्क स्थित हैं? (A)जैसलमेर (B)बांसवाडा (C)जयपुर (D) चुरू उत्तर- जैसलमेर 3. किराडू मन्दिर कहाँ स्थित हैं? (A)रामगढ़ (जैसलमेर) (B)फलौदी (C)किशन गढ़ (D)जामसर उत्तर – रामगढ़ (जैसलमेर) 4. राजस्थान के किस तीरंदाज को अर्जुन पुरस्कार दिया गया है ? (A)श्याम लाल मीणा (B)लिम्बा राम (C)ये दोनों (D)इनमें से कोई नहीं उत्तर- ये दोनों 5. तनोट देवी का मन्दिर किस जिले में स्थित हैं? (A)बाड़मेर (B)जैसलमेर (C)चुरू (D)सीकर उत्तर- जैसलमेर 6. राजस्थान के किस जिले में पेट्रोलियम के भण्डार मिले हैं?  (A)सीकर (B)बाड़मेर (C)जैसलमेर (D)जालौर उत्तर- बाड़मेर 7. निम्न में से मारवाड़ के पंच पीरो में किसका नाम लिया जाता हैं? (A)भोम्याजी (B)तेजाजी (C)रामदेवजी (D)गोगाजी उत्तर – गोगाजी 8. प्रसिद्ध कैला देवी का मेला किस जिले में आयोजित होता हैं? (A)भरतपुर (B)करौली (C)जोधपुर (D)टोंक उत्तर- करौली 9. राजस्थान मे “मारवाड़ उत्सव” किस जिले में ...

Panchayati Raj System in Rajasthan राजस्थान में पंचायती राज व्यवस्था

राजस्थान में पंचायती राज व्यवस्था NOTE- English के लिए निचे जाये (73 वें संविधान संशोधन अधि., राजस्थान पंचायती राज अधिनियम 1994 व पंचायती राज नियम, 1996 के अधीन) भारत में प्राचिन काल, मध्यकाल व वर्तमान काल में किसी न किसी व्यवस्था में पंचायती राज के अवशेष मिलते हैं। ब्रिटीश काल 1880 से 1884 के मध्य लार्ड रिपन का कार्यकाल पंचायती राज का स्वर्ण काल माना जाता है। इसने स्थाई निकायों को बढाने का प्रावधान किया। स्वतंत्रता के बाद भारतीय संविधान के भाग -4 में अनुच्छेद 40 में ग्राम पंचायतों के गठन और उन्होंने शक्तियां प्रदान करने की बात की लेकिन संवैधनिक दर्जा नहीं मिला। सवैधानिक दर्जा 73 वें संविधान सेशोधन 1992 से दिया गया। 73 वें संविधान संशोधन द्वारा 24 अप्रैल 1993 को इस संवैधानिक पंचायती राज दर्जे को सम्पूर्ण भारत में लागू किया। प्रत्येक 24 अप्रैल को पंचायती राज दिवस मनाया जाता है। राजस्थान में इसे 23 अप्रैल 1994 से लागू किया गया। भारत में पंचायती राज पंचायती राज एक त्रि-स्तरीय व्यवस्था है: कुल जिले: 33 कुल पंचायत समितियाँ: 295 कुल ग्राम पंचायत: 9892 ज़िलों की औसत ग्राम पंचायते: 300 पं. समित...

राजस्थान का इतिहास जानने के स्त्रोत (Sources to know the history of Rajasthan)

राजस्थान इतिहास को जानने के स्त्रोतः- इतिहास का शाब्दिक अर्थ- ऐसा निश्चित रूप से हुआ है। इतिहास के जनक यूनान के हेरोडोटस को माना जाता हैं लगभग 2500 वर्ष पूर्व उन्होने " हिस्टोरिका" नामक ग्रन्थ की रचना की । इस ग्रन्थ में उन्होने भारत का उल्लेख भी किया हैं। भारतीय इतिहास के जनक महाभारत के लेखक वेद व्यास माने जाते है। महाभारत का प्राचीन नाम "जय सहिता" था। राजस्थान इतिहास के जनक कर्नल जेम्सहाडॅ कहे जाते है। वे 1818 से 1821 के मध्य मेवाड़ (उदयपुर) प्राप्त के पोलिटिकल एजेन्ट थे उन्होने घोडे पर धूम-धूम कर राजस्थान के इतिहास को लिखा। अतः कर्नल टाॅड को "घोडे वाले बाबा" कहा जाता है। इन्होने "एनाल्स एण्ड एंटीक्वीटीज आॅफ राजस्थान" नामक पुस्तकालय का लन्दन में 1829 में प्रकाशन करवाया। गोराी शंकर हिराचन्द ओझा (जी.एच. ओझा) ने इसका सर्वप्रथम हिन्दी में अनुवाद करवाया। इस पुस्तक का दूसरा नाम "सैटर्ल एण्ड वेस्टर्न राजपूत स्टेट आॅफ इंडिया" है। कर्नल जेम्स टाॅड की एक अनय पुस्तक "टेªवल इन वेस्र्टन इण्डिया" का इसकी मृत्यु के पश्चात 1837 में इनकी पत्न...

प्राचीन सभ्यताऐं (Rajasthan ancient civilizations)

Rajasthan ancient civilizations कालीबंगा सभ्यता जिला - हनुमानगढ़ नदी - सरस्वती(वर्तमान की घग्घर) समय - 3000 ईसा पूर्व से 1750 ईसा पूर्व तक काल - कास्य युगीन काल खोजकर्ता - 1952 अमलानन्द घोस उत्खनन कर्ता - (1961-69) बी. बी. लाल, वी. के. थापर बी. बी. लाल - बृजबासी लाल बी. के. थापर - बालकृष्ण थापर शाब्दीक अर्थ - काली चुडि़यां विशेषताएं दोहरे जुते हुऐ खेत के साक्ष्य यह नगर दो भागों में विभाजित है और दोनों भाग सुरक्षा दिवार(परकोटा) से घिरे हुए हैं। अलंकृत ईटों, अलंकृत फर्श के साक्ष्य प्राप्त हुए है। लकड़ी से बनी नाली के साक्ष्य प्राप्त हुए है। यहां से ईटों से निर्मित चबुतरे पर सात अग्नि कुण्ड प्राप्त हुए है जिसमें राख एवम् पशुओं की हड्डियां प्राप्त हुई है।यहां से ऊंट की हड्डियां प्राप्त हुई है, ऊंट इनका पालतु पशु है। यहां से सुती वस्त्र में लिपटा हुआ ‘उस्तरा‘ प्राप्त हुआ है। यहां से कपास की खेती के साक्ष्य प्राप्त हुए है। जले हुए चावल के साक्ष्य प्राप्त हुए हैं। युगल समाधी के साक्ष्य प्राप्त हुए हैं। यहां से मिट्टी से निर्मिट स्केल(फुटा) प्राप्त हुआ है। यहां से शल्य चिकित्सा के साक्ष्य प्रा...

राजस्थान की नदियां(आंतरिक प्रवाह तंत्र की नदियां)

  राजस्थान की नदियां(आंतरिक प्रवाह तंत्र की नदियां) वे नदियों जिनका जल समुद्र तक नहीं पहुँच पाता है, अपने प्रवाह क्षेत्र मे ही विलुप्त हो जाती है, उन्हें आन्तरिक प्रवाह की नदियां कहते है घग्घर नदी उपनाम: सरस्वती, दृषद्धती, मृतनदी, नट नदी उद्गम: शिवालिका श्रेणी कालका (हिमांचल-प्रदेश) कुल ल. : 465 कि.मी. कालीबंगा सभ्यता का विकास राजस्थान की आन्तरिक प्रवाह की सर्वाधिक लम्बी नदी घग्घर नदी उद्गम हिमांचल प्रदेश में कालका के निकट शिवालिका की पहाडि़यों से होता है। यह नदी पंजाब व हरियाणा में बहकर हनुमानगढ़ जिले के टिब्बी नामक स्थान पर प्रवेश करती है और भटनेर दुर्ग के पास जाकर समाप्त हो जाती है। किन्तु कभी-2 अत्यधिक वर्षा होने की स्थिति में यह नदी गंगानगर जिले में प्रवेश करती है और सुरतगढ़ अनुपगढ़ में बहती हुई पाकिस्तान के बहावलपुर जिले(प्रवेश बिन्दू बिजौर) में प्रवेश करती है। और अन्त में फोर्ट अब्बास नामक स्थान पर समाप्त हो जाती है। पाकिस्तान में इस नदी को "हकरा" (फारसी भाषा का शब्द) के नाम से जानी जाती है। थार के रेगिस्तान को पाकिस्तान में बोलिस्तान कहते है। इस नदी की कुल लम्बाई 465 ...

राजस्थान की नदियां(अरब सागर तंत्र की नदियां)

  राजस्थान की नदियां(अरब सागर तंत्र की नदियां) लूनी नदी उपनाम:- लवणवती, सागरमती/मरूआशा/साक्री कुल लम्बाई:- 495 कि.मी. राजस्थान में लम्बाई:- 330 कि.मी. पश्चिम राजस्थान की गंगा, रेगिस्तान की गंगा, आधी मीठी आधी खारी बहाव:- अजमेर, नागौर, जोधपुर, पाली, बाड़मेर, जालौर पश्चिम राजस्थान की सबसे लम्बी नदी है। पश्चिम राजस्थान की एकमात्र नदी लूनी नदी का उद्गम अजमेर जिले के नाग की पहाडियों से होता है। आरम्भ में इस नदी को सागरमति या सरस्वती कहते है। यह नदी अजमेर से नागौर, जोधपुर, पाली, बाडमेर, जालौर जिलों से होकर बहती हुई गुजरात के कच्छ जिले में प्रवेश करती है और कच्छ के रण में विलुप्त हो जाती है। इस नदी की कुल लम्बाई 495 कि.मी. है। राजस्थान में इसकी कुल लम्बाई 330 कि.मी. है। राजस्थान में लूनी का प्रवाह गौड़वाड़ क्षेत्र को गौड़वाड प्रदेश कहा जाता है। लूनी की सहायक नदियों में बंकडा, सूकली, मीठडी, जवाई, सागी, लीलडी पूर्व की ओर से ओर एकमात्र नदी जोजड़ी पश्चिम से जोधपुर से आकर मिलती है। यह नदी बालोतरा (बाड़मेर) के पश्चात् खारी हो जाती है क्योंकि रेगिस्तान क्षेत्र से गुजरने पर रेत में सम्मिलित नमक के...

राजस्थान की नदियां

  राजस्थान की नदियां राजस्थान का अधिकांश भाग रेगिस्तानी है अतः वहां नदीयों का विशेष महत्व है। पश्चिम भाग में सिचाई के साधनों का अभाव है परिणाम स्वरूप यहां नदीयों का महत्व ओर भी बढ़ जाता है। प्राचीन समय से ही नदियों का विशेष महत्व रहा |राजस्थान में महान जलविभाजक रेखा का कार्य अरावली पर्वत माला द्वारा किया जाता है। अरावली पर्वत के पूर्व न पश्चिम में नदियों का प्रवाह है और उनका उद्गम "अरावली" पर्वत माला है। 1.चम्बल नदी(चर्मण्वती,नित्यवाही,सदानिरा,कामधेनू) राजस्थान की सबसे अधिक लम्बी नदी चम्बल नदी का उद्गम मध्य-प्रदेश में महु जिले में स्थित जानापाव की पहाडि़यों से होता है। यह नदी दक्षिण से उत्तर की ओर बहती हुई राजस्थान के चितौड़गढ़ जिले मे चैरासीगढ़ नामक स्थान पर प्रवेश करती है और कोटा व बंूदी जिलों में होकर बहती हुई सवाई माधोपुर, करौली, धौलपुर, जिलों में राजस्थान व मध्य-प्रदेश के मध्य सीमा बनाती है। यह नदी मध्यप्रदेश के 4 जिलों महु, मंन्दसौर, उज्जैन और रतलाम से होकर बहती है। राजस्थान की एकमात्र नदी जो अ्रन्तर्राज्यीय सीमा का निर्माण करती है- चम्बल नदी है। अन्त में उत्तर-प्रदेश क...

राजस्थान की झीले

  राजस्थान की झीले राजस्थान में प्राचीन काल से ही लोग जल स्रोतों के निर्माण को प्राथमिकता देते थे। इस कार्य से संबंधित शब्दों पर एक नजर। मीरली या मीरवी- तालाब, बावड़ी, कुण्ड आदि के लिए उपयुक्त स्थान का चुनाव करने वाला व्यक्ति। कीणिया- कुआँ खोदने वाला उत्कीर्णक व्यक्ति। चेजारा- चुनाई करने वाला व्यक्ति। राजस्थान की झीलों की नगरी उदयपुर। भारत की झीलों की नगरी श्रीनगर। खारे पानी की झीले मीठे पानी की झीलें सांभर- जयपुर जयसमंद- उदयपुर पचभदरा- बाड़मेर राजसमंद- राजसमंद डीडवाना- नागौर बालसमंद- जोधपुर लुणकरणसर- बीकानेर आनासागर- अजमेर फलौदी- जोधपुर फतेहसागर- उदयपुर कावोद- जैसलमेर फायसागर- अजमेर रेवासा- सीकर उदयसागर- उदयपुर तालछापर- चुरू पुष्कर- अजमेर कुचामन- नागौर कोलायत- बीकानेर डेगाना- नागौर नक्की- सिरोही पौकरण- जैसलमेर सिलिसेढ- अलवर बाप- जोधपुर पिछौला- उदयपुर कोछोर - सीकर कायलाना- जोधपुर नावां - नागौर पीथनपुरी - सीकर राजस्थान की मीठे पानी की प्रमुख झीलें जयसमंद झील /ढेबर झील (उदयपुर) राजस्थान में मीठे पानी की सबसे बड़ी कृत्रिम झील जयसमंद है। इस झील का निर्माण  मेवाड़  के राणा जयसि...

राजस्थान के विभिन्न क्षेत्रों के भौगोलिक नाम

  राजस्थान के विभिन्न क्षेत्रों के भौगोलिक नाम भोराठ/भोराट का पठार:-  उदयपुर के कुम्भलगढ व गोगुन्दा के मध्य का पठारी भाग। लासडि़या का पठारः-  उदयपुर में जयसमंद से आगे कटा-फटा पठारी भाग। गिरवाः-  उदयपुर में चारों ओर पहाडि़यों होने के कारण उदयपुर की आकृति एकतश्तरीनुमा बेसिन जैसी है जिसे स्थानीय भाषा में गिरवा कहते है। देशहरोः-  उदयपुर में जरगा(उदयपुर) व रागाा(सिरोही) पहाड़ीयों के बीच का क्षेत्रसदा हरा भरा रहने के कारण देशहरो कहलाता है। मगराः - उदयपुर का उत्तरी पश्चिमी पर्वतीय भाग मगरा कहलाता है। ऊपरमालः-  चित्तौड़गढ़ के भैसरोड़गढ़ से लेकर भीलवाडा के बिजोलिया तक कापठारी भाग ऊपरमाल कहलाता है। नाकोडा पर्वत/छप्पन की पहाडि़याँः-  बाडमेर के सिवाणा ग्रेनाइट पर्वतीय क्षेत्र में स्थित गोलाकार पहाड़ीयों का समुह नाकोड़ा पर्वत। छप्पन की पहाड़ीयाँ कहलाती है। छप्पन का मैदानः-  बासवाडा व प्रतापगढ़ के मघ्य का भू-भाग छप्पन का मैदान कहलाता है। यह मैदान माही नदी बनाती है।(56 गावों का समुह या 56 नालों का समुह) राठः-  अलवर व भरतपुर का वो क्षेत्र जो हरियाणा की सीमा ...

राजस्थान का सामान्य परिचय

राजस्थान का सामान्य परिचय राजस्थान क्षेत्रफल की दृष्टि से हमारे   देश   का सबसे बड़ा राज्य है।   1 नवम्बर 2000 को   मध्यप्रदेश से छत्तीसगढ़ का गठन हुआ और उसी दिन से राजस्थान देश का प्रथम राज्य बना। राजस्थान का कुल क्षेत्रफल 3,42,239 वर्ग कि.मी. है। जो कि देश का 10.41प्रतिशत है। क्षेत्रफल की दृष्टि से राजस्थान की तुलना की जाये तो - राजस्थान श्रीलंका से पांच गुना, चेकोस्लोवाकिया से तीन गुना, इजराइल से सत्रह गुना तथा इंग्लैण्ड से दुगुने से भी बड़ा है। जापान की तुलना में राजस्थान कुछ ही छोटा है। छठी सताब्दी के बाद राजस्थानी भू भाग में राजपूत राज्यों का उदय प्रारंभ हुआ । राजपूत राज्यों की प्रधानता के कारण इसे राजपुताना कहा जाने लगा। वाल्मीकि ने राजस्थान प्रदेश को ‘मरुकांतर’ कहा है। राजस्थान शब्द का प्राचीनतम उपयोग ‘राजस्थानियादित्य’ वि संवत 682 में उत्कीर्ण वसंतगढ़ (सिरोही ) के शिलालेख में मिलता है ।उसके बाद मुहणोत नैणसी की ख्यात व राजरूपक में राजस्थान शब्द का प्रयोग हुआ है सन् 1800 ई.में "जार्ज थामस" ने राजस्थान के इस भाग के लिए ‘राजपुताना’ की संज्ञा दी। इस बात का उल्लेख वि...