Type Here to Get Search Results !

राजस्थान के विभिन्न क्षेत्रों के भौगोलिक नाम

0

 

राजस्थान के विभिन्न क्षेत्रों के भौगोलिक नाम



भोराठ/भोराट का पठार:- उदयपुर के कुम्भलगढ व गोगुन्दा के मध्य का पठारी भाग।

लासडि़या का पठारः- उदयपुर में जयसमंद से आगे कटा-फटा पठारी भाग।

गिरवाः- उदयपुर में चारों ओर पहाडि़यों होने के कारण उदयपुर की आकृति एकतश्तरीनुमा बेसिन जैसी है जिसे स्थानीय भाषा में गिरवा कहते है।

देशहरोः- उदयपुर में जरगा(उदयपुर) व रागाा(सिरोही) पहाड़ीयों के बीच का क्षेत्रसदा हरा भरा रहने के कारण देशहरो कहलाता है।

मगराः- उदयपुर का उत्तरी पश्चिमी पर्वतीय भाग मगरा कहलाता है।

ऊपरमालः- चित्तौड़गढ़ के भैसरोड़गढ़ से लेकर भीलवाडा के बिजोलिया तक कापठारी भाग ऊपरमाल कहलाता है।

नाकोडा पर्वत/छप्पन की पहाडि़याँः- बाडमेर के सिवाणा ग्रेनाइट पर्वतीय क्षेत्र में

स्थित गोलाकार पहाड़ीयों का समुह नाकोड़ा पर्वत। छप्पन की पहाड़ीयाँ कहलाती है।

छप्पन का मैदानः- बासवाडा व प्रतापगढ़ के मघ्य का भू-भाग छप्पन का मैदान कहलाता है। यह मैदान माही नदी बनाती है।(56 गावों का समुह या 56 नालों का समुह)

राठः- अलवर व भरतपुर का वो क्षेत्र जो हरियाणा की सीमा से लगता है राठ कहते है।

कांठलः- माही नदी के किनारे-किनारे (कंठा) प्रतापगढ़ का भू-भाग कांठल है इसलिए माही नदी को कांठल की गंगा कहते है।

भाखर/भाकरः- पूर्वी सिरोही क्षेत्र में अरावली की तीव्र ढाल वाली ऊबड़-खाबड़ पहाड़ीयों का क्षेत्र भाकर/भाखर कहलाता है।

खेराड़ः- भीलवाड़ा व टोंक का वो क्षेत्र जो बनास बेसिन में स्थित है।

मालानीः- जालौर ओर बालोत्तरा के मध्य का भाग।

देवल/मेवलियाः- डुंगरपुर व बांसवाड़ा के मध्य का भाग।

लिटलरणः- राजस्थान में कच्छ की खाड़ी के क्षेत्र को लिटल रण कहते है।

माल खेराड़ः- ऊपरमाल व खेराड़ क्षेत्र सयुंक्त रूप में माल खेराड़ कहलाता है।

पुष्प क्षेत्रः- डुंगरपुर व बांसवाड़ा संयुक्त रूप से पुष्प क्षेत्र कहलाता है।

सुजला क्षेत्रः- सीकर, चुरू व नागौर सयुंक्त रूप से सुजला क्षेत्र कहलाता है।

मालवा का क्षेत्रः- झालावाड़ व प्रतापगढ़ संयुक्त रूप से मालवा का क्षेत्र कहलाता है।

धरियनः- जैसलमेर जिले का बलुका स्तुप युक्त क्षेत्र जहाँ जनसंख्या 'न' के बराबर धरियन कहलाता है।

भोमटः- डुंगरपुर, पूर्वी सिरोही व उदयपुर जिले का आदिवासी प्रदेश।

कुबड़ पट्टीः- नागौर के जल में फ्लोराइड़ कि मात्रा अधिक होती है।जिससे शारीरिक विकृति(कुब) होने की सम्भावना हो जाती है।

लाठी सीरिज क्षेत्रः- जैसलमेर में पोकरण से मोहनगढ्र तक पाकिस्तानी सिमा के सहारे विस्तृत एक भु-गर्भीय मीठे जल की पेटी।

इसी लाठी सीरिज के ऊपर सेवण घास उगती है।

बंागड़/बांगरः- शेखावाटी व मरूप्रदेश के मध्य संकरी पेटी।

वागड़ः- डुगरपुर व बांसवाड़ा।

शेखावाटीः- चुरू सीकर झुझुनू।

बीहड़/डाग/खादरः- चम्बल नदी सवाई माधोपुर करौली धौलपुर में बडे़-बडे़ गड्डों का निर्माण करती है इन गड्डांे को बीहड़/डाग/खादर नाम से पुकारा जाता है।यह क्षेत्र डाकुओं की शरणस्थली के नाम से जाना जाता है।

सर्वाधिक बीहड़ - धौलपुर में।

मेवातः- उत्तरी अलवर।

कुरूः- अलवर का कुछ हिस्सा।

शुरसेनः- भरतपुर, धौलपुर, करौली।

योद्धेयः- गंगानगर व हनुमानगढ़।

जांगल प्रदेशः- बीकानेर तथा उत्तरी जोधपुर।

गुजर्राजाः- जोधपुर का दक्षिण का भाग।

ढूढाड़ः- जयपुर के आस-पास का क्षेत्र।

माल/वल्लः- जैसलमेर।

कोठीः- धौलपुर (सुनहरी कोठी-टोंक)।

अरावलीः- आडवाल।

चन्द्रावतीः- सिरोही व आबु का क्षेत्र।

शिवि/मेदपाट/प्राग्वाटः- उदयपुर व चित्तौड़गढ़(मेवाड़)।

गोडवाडः- बाड़मेर, जालौर सिरोही।

पहाडि़याँ-

मालखेत की पहाडि़याः- सीकर

हर्ष पर्वतः- सीकर

हर्षनाथ की पहाडि़याँः- अलवर

बीजासण पर्वतः- माण्डलगढ़(भीलवाड़ा)

चिडि़या टुक की पहाड़ीः- मेहरानगढ़(जोधपुर)

बीठली/बीठडीः- तारागढ़(अजमेर)

त्रिकुट पर्वतः- जैसलमेर(सोनारगढ़) व करौली(कैलादेवी मन्दिर)

सुन्धा पर्वतः- भीनमाल(जालौर)

इस पर्वत पर सुन्धा माता का मन्दिर है इस मन्दिर में राजस्थान का पहला रोप वे लगाया गया है।(दुसरा रोप वे- उदयपुर में)

मुकुन्दवाड़ा की पहाड़ीयाः- कोटा व झालावाड़ के बीच।

पठार

पठारस्थानऊँचाई के आधार पर
उडीया का पठार (1360 मी.)सिरोही1
आबू का पठार(1200 मी.)सिरोही2
भोराठ का पठारउदयपुर3
मैसा का पठारचित्तौड़गढ़4

नोट चित्तौड़गढ़ दुर्ग मैसा के पठार पर स्थित है पहाडि़ पर नहीं।

Post a Comment

0 Comments

Top Post Ad