Skip to main content

Posts

Showing posts from October, 2019

राजस्थान की जलवायु (Climate of Rajasthan

राजस्थान की जलवायु राजस्थान की जलवायु शुष्क से उपआर्द्र मानसूनी जलवायु है अरावली के पश्चिम में न्यून वर्षा, उच्च दैनिक एवं वार्षिक तापान्तर निम्न आर्द्रता तथा तीव्रहवाओं युक्त जलवायु है। दुसरी और अरावली के पुर्व में अर्द्रशुष्क एवं उपआर्द्र जलवायु है। जलवायु को प्रभावित करने वाले कारक -अक्षांशीय स्थिती, समुद्रतल से दुरी, समुद्र तल से ऊंचाई, अरावली पर्वत श्रेणियों कि स्थिति एवं दिशा आदि। राजस्थान की जलवायु कि प्रमुख विशेषताएं - शुष्क एवं आर्द्र जलवायु कि प्रधानता अपर्याप्त एंव अनिश्चित वर्षा वर्षा का अनायस वितरण अधिकांश वर्षा जुन से सितम्बर तक वर्षा की परिर्वतनशीलता एवं न्यूनता के कारण सुखा एवं अकाल कि स्थिती अधिक होना। राजस्थान कर्क रेखा के उत्तर दिशा में स्थित है। अतः राज्य उपोष्ण कटिबंध में स्थित है। केवल डुंगरपुर और बांसवाड़ा जिले का कुछ हिस्सा उष्ण कटिबंध में स्थित है। अरावली पर्वत श्रेणीयों ने जलवायु कि दृष्टि से राजस्थान को दो भागों में विभक्त कर दिया है। अरावली पर्वत श्रेणीयां मानसुनी हवाओं के चलने कि दिशाओं के अनुरूप होने के कारण मार्ग में बाधक नहीं बन पा...

राजस्थान के प्रतिक चिन्ह (asthan rajya ke pratik chinh

राजस्थान के प्रतीक चिन्ह राज्य वृक्ष - खेजड़ी "रेगिस्तान का गौरव" अथवा "थार का कल्पवृक्ष" जिसका वैज्ञानिक नाम "प्रोसेसिप-सिनेरेरिया" है। इसको 1983 में राज्य वृक्ष घोषित किया गया। खेजड़ी के वृक्ष सर्वाधिक शेखावटी क्षेत्र में देखे जा सकते है तथा नागौर जिले सर्वाधिक है। इस वृक्ष की पुजा विजयाशमी/दशहरे पर की जाती है। खेजड़ी के वृक्ष के निचे गोगाजी व झुंझार बाबा का मंदिर/थान बना होता है। खेजड़ी को पंजाबी व हरियाणावी में जांटी व तमिल भाषा में पेयमेय कन्नड़ भाषा में बन्ना-बन्नी, सिंधी भाषा में - धोकड़ा व बिश्नोई सम्प्रदाय के लोग 'शमी' के नाम से जानते है। स्थानीय भाषा में सीमलो कहते हैं। खेजडी की हरी फली-सांगरी, सुखी फली- खोखा, व पत्तियों से बना चारा लुंग/लुम कहलाता है। खेजड़ी के वृक्ष को सेलेस्ट्रेना(कीड़ा) व ग्लाइकोट्रमा(कवक) नामक दो किड़े नुकसान पहुँचाते है। वैज्ञानिकों ने खेजड़ी के वृक्ष की कुल आयु 5000 वर्ष मानी है। राजस्थान में खेजड़ी के 1000 वर्ष पुराने 2 वृक्ष मिले है।(मांगलियावास गाँव, अजमेर में) पाण्डुओं ने अज्ञातवास के समय अप...

राजस्थान के संभाग Rajasthan Ke Sambhag

देश को बेहतर ढंग से चलाने के लिए और व्यवस्था को बेहतर बनाये रखने के लिए देश को राज्यों में बांटा जाता है। फिर राज्यों को जिलों में बांटा जाता है। राजस्थान में राज्य और जिलों के बिच संभाग है।कई जिलों को जोड़ कर संभाग बनाया जाता है। राजस्थान में वर्तमान में 7 संभाग हैं। जयपुर संभाग- जयपुर, दौसा, सीकर, अलवर, झुंझुनू जोधपुर संभाग- जोधपुर, जालौर, पाली, बाड़मेर, सिरोही, जैसलमेर भरतपुर संभाग- भरतपुर, धौलपुर, करौली, सवाईमाधोपुर अजमेर संभाग- अजमेर, भीलवाड़ा, टोंक, नागौर कोटा संभाग- कोटा, बुंदी, बांरा, झालावाड़ बीकानेर संभाग- बीकानेर, गंगानगर, हनुमानगढ़, चुरू उदयपुर संभाग- उदयपुर, राजसंमद, डूंगरपुर, बांसवाड़ा,चित्तौड़गढ़, प्रतापगढ़ राजस्थान में संभागीय व्यवस्था की शुरूआत 1949 में हीरालाल शास्त्री सरकार द्वारा की गई।अप्रैल, 1962 में मोहनलाल सुखाडि़या सरकार के द्वारा संभागीय व्यवस्था को समाप्त कर दिया गया। 15 जनवरी, 1987 में हरि देव जोशी सरकार के द्वारा संभागीय व्यवस्था की शुरूआत दुबारा की गई। 1987 में राजस्थान का छठा संभाग अजमेर को बनाया गया।यह जयपुर संभाग से अलग होकर नया संभ...

राजस्थान की सीमा Rajasthan Ki Seema

26 जनवरी 1950 को संविधानिक रूप से हमारे राज्य का नाम राजस्थान पडा। राजस्थान अपने वर्तमान स्वरूप में 1 नवंम्बर 1956 को आया। इस समय राजस्थान में कुल 26 जिले थे। 26 वां जिला-अजमेर-1 नवंम्बर, 1956 27 वां जिला-धौलपुर-15 अप्रैल, 1982, यह भरतपुर से अलग होकर नया जिला बना। 28 वां जिला- बांरा-10 अप्रैल, 1991, यह कोटा से अलग होकर नया जिला बना। 29 वां जिला-दौसा-10 अप्रैल,1991, यह जयपुर से अलग होकर नया जिला बना। 30 वां जिला- राजसंमद-10 अप्रैल, 1991, यह उदयपुर से अलग होकर नया जिला बना। 31 वां जिला-हनुमानगढ़-12 जुलाई, 1994, यह श्री गंगानगर से अलग होकर नया जिला बना। 32 वां जिला -करौली 19 जुलाई, 1997, यह सवाई माधोपुर से अलग होकर नया जिला बना। 33 वां जिला-प्रतापगढ़-26 जनवरी,2008, यह तीन जिलों से अलग होकर नया जिला बना। चित्तौडगढ़- छोटी सादडी, आरनोद,प्रतापगढ़ तहसील उदयपुर-धारियाबाद तहसील बांसवाडा- पीपलखुट तहसील प्रतापगढ जिला परमेशचन्द कमेटी की सिफारिश पर बनाया गया।प्रतापगढ जिले ने अपना कार्य 1 अप्रैल, 2008 से शुरू किया। प्रतापगढ़ को प्राचीन काल में कांठल व देवला/देवलीया के...